मनुष्य के सारे अच्छे बुरे कार्यों का साक्षी उसका अन्तःकरण ही है। अन्तःकरण के निर्णय की अवहेलना करके जो मनमानी करता है वह अवश्य ही अपने लिए विनाश के बीज बोता है।
मानव का अन्तःकरण उसके शरीर कोई अवयव मात्र नहीं है। वह मानव शरीर में ईश्वर का प्रतिनिधि है जो हर समय मनुष्य के कर्मों का लेखा जोखा तैयार किया करता है। मनुष्य का अन्तःकरण एक ऐसा अलौकिक यन्त्र है जिसके माध्यम से ईश्वर मनुष्य के लिए अपना सन्देश भेजा करता है। मनुष्य से वार्तालाप करता है। अब यह मनुष्य का अपना दुर्भाग्य है कि वह इस ईश्वरीय यन्त्र की कद्र न करके दूषित बना देता है जिससे वह दिव्य सन्देश को नहीं सुन पाता।
जिस प्रकार पवित्र निर्विकार एवं निर्मल अन्तःकरण ईश्वर का सन्देश वाहक है उसी प्रकार मलिन एवं दूषित अन्तःकरण पैशाचिकता का केन्द्र है नारकीय खण्डहर है जिसमें पापात्माओं की प्रेतवाणी गूँजती रहती है जो मनुष्य को पतन की ओर ही प्रेरित करती है।
-ऋषि तिरुवल्लुवर