Quotation

November 1965

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

जीवन एक संग्राम हैं। इस जीवन में वही विजयी होता है जो सीना तानकर आफतों का मुकाबला कर सकता है, आफतों की घनघोर घटाओं में बिजली की तरह मुस्करा सकता है, परिस्थितियों का दास न बनकर उनका स्वामी बनता है तथा जो टूट जाना पसन्द करता है पर झुकना नहीं।

-श्रुति

अन्त में जिस समय मृत्यु दण्ड के पालन में सुकरात को विष पीने के लिये दिया गया, उस समय भी वे उसे मधु के समान स्वाद ले लेकर पीते हुये हँसते और शिष्यों से बातें करते रहे। विष का प्याला खाली करके सुकरात उठ कर धीरे-धीरे कमरे में टहलने लगे। उन पर विष का प्रभाव होते देखकर उनके शिष्य रोने लगे। उन्होंने शिष्यों को धीरज बँधाया और शान्त रहने के लिये कहा। पूर्ण रूप से विषाकाँत हो जाने पर वे लेट गये और शिष्यों को मौन रहकर ईश्वर का ध्यान करने के लिये कहा। सबके ध्यानस्थ हो जाने पर सन्त सुकरात ने भी शान्तिपूर्वक आँखें बन्द कर लीं और यह कहते हुये सदा के लिये सो गये-’सत्य की विजय हो’- ‘आत्मा अमर है।’


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles