मारियोपोजियो (Kahani)

May 1995

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इटली के न्यूरिन विश्व विद्यालय के एक्स-रे विज्ञान के विशेषज्ञ मारियोपोजियो- उन दिनों कैंसर के इलाज के लिए शोध कर रहे थे। इसके लिए उन्होंने किसी दूसरे प्राणी को न चुनकर अपने शरीर का ही उपयोग करना प्रारम्भ कर दिया।

जब उनकी एक हाथ की अंगुली काटी गई तो उन्होंने चिकित्सक से कहा- डॉक्टर! चिंता न कीजिए। एक तो बांया हाथ है यह फिर एक उंगली का ही सवाल है। चार उंगलियाँ तो बचेंगी ही।

पोजियो देखने में बड़े आकर्षक थे। रेडियम का स्पर्श उनके लिए प्राण घातक सिद्ध होता चला गया। उन्हें अपने दोनों हाथ कटवाने पड़े। उनके अनेक वैज्ञानिक साथियों ने उन्हें रेडियम से दूर रहने के लिए सावधान भी किया। पर उन्होंने अपने क्षीण होते हुए शरीर की तनिक भी चिन्ता न की। उन्होंने उत्तर दिया 'मुझे ही नहीं वरन् प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन के प्रत्येक क्षण का पूरा-पूरा लाभ उठाना चाहिए। कैंसर रोग से ग्रस्त व्यक्तियों की प्राण रक्षा के लिए इस प्रयोग का करना अनिवार्य है। यदि मेरे जीवन की आहुति से संसार के अन्य सैकड़ों व्यक्तियों की जीवन रक्षा होती है तो मैं सहर्ष तैयार हूँ और 71 वर्षीय उस तपस्वी वैज्ञानिक की कैंसर की खोज में जीवन लीला समाप्त हो गई।


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