गाँधी जी के आश्रम में कुछ लड़के भी रहा करते थे। उनमें से एक लड़का गौशाला में सोया करता था। उसके पास कोई बिस्तर भी नहीं था। गाँधी जी एक बार घूमते हुए गौशाला की ओर गये तो उनकी निगाह उस लड़के पर पड़ी। वह सो रहा था गाँधी ने लड़के से पूछा तू रात को भी वहीं सोता है।
लड़के ने कहा हाँ बापू और रात में ओढ़ता क्या है? लड़के का उत्तर था यह सुनकर गाँधी जी तत्काल अपनी झोपड़ी में लोट आये। बाद की दो पुरानी साड़ियाँ ली। पुराने अखबार तथा थोड़ी सी रुई मंगवाई। वा बैठकर गाँधी जी का सहयोग करने लगी। वा की सहायता से थोड़ी ही देर में खोल सिल गया। अखबार के मोटे कागज और रुई मिलाकर कुछ ही घंटों गुदड़ी तैयार कर ली और खुद ही उस लड़के को जाकर दे आये।
दूसरे दिन प्रातः गौशाला जाकर बापू ने पूछा -रात कैसी नींद आई। लड़के ने कहा बहुत मीठी नींद आई तब कहीं जाकर बापू को संतोष हुआ।