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Akhand Jyoti
Year 1994
Version 2
संपादकीय -...
संपादकीय - अपनी से अपनी बात- - सशक्त शक्ति उद्गम से जुड़ने का ठीक यही समय
September 1994
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Page Titles
ज्ञान का संबल दुखों से दिलाये मुक्ति
हिंसा क्या, अहिंसा क्या
यह जगत ब्रह्म सत्ता की इच्छा-स्फुरणा मात्र
न यहाँ भूत है, न वर्तमान, न भविष्यकाल
क्रोधी लक्ष्य से वंचित
मीठी नींद (Kahani)
मानवी सत्ता विद्युत स्फुल्लिंगों का क्रीड़ा कल्लोल मात्र
कहीं ! हमें भी सनकने का रोग तो नहीं?
सफलता, असफलता दोनों ही सिखाती है हमें जीवन जीना
विधेयात्मक चिंतन (Kahani)
महानता का मापदंड क्या हो?
Quotation
संस्कृति है, सौंदर्य की उपासना
द्वैत की समाप्ति, अद्वैत की प्राप्ति
जब सभी कामनाएँ चुक जाएँ
दूसरों पर निर्भर रहने में खतरा है (Kahani)
अब बारी देवत्व के विकास की है
अपने समय की सबसे बड़ी आवश्यकता – नारी जागरण
समग्र परिवर्तन की बेला आ पहुंची
भावनात्मक परिष्कार ही एकमात्र समाधान
सफलता की कुँजी है – संकल्प शक्ति
अवसर को पहचान लेने की औचित्य भरी सूझ-बूझ
तालबद्ध; सुनियोजित जीवनक्रम
मातृ-वंदना (Kavita)
मातृ सत्ता से (Kavita)
सही ढंग से साँस लें- नीरोग बनें
परम पूज्य गुरुदेव की अमृतवाणी - कैसे ही आध्यात्मिक कायाकल्प?
विशिष्ट सामयिक लेख - - महान याचक की महान याचना
Quotation
संपादकीय - अपनी से अपनी बात- - सशक्त शक्ति उद्गम से जुड़ने का ठीक यही समय
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
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