VigyapanSuchana

May 1981

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युग साहित्य की प्रथम किस्त तैयार

शिक्षितों को सुसंस्कृत बनाने के हेतु हर दिन, घर बैठे, नियमित रूप से, बिना मूल्य युग-साहित्य पढ़ाने की व्यापक योजना बनी है। हर भाषा में हर वर्ष 360 की संख्या में पच्चीस पैसा मूल्य वाली अत्यन्त सस्ती, सुन्दर एवं सारगर्भित पुस्तिकाएँ इस योजना के अंतर्गत छपती हैं। इन्हें अपने संपर्क क्षेत्रों में सभी प्रज्ञा परिजन पढ़ाने के लिए अविलम्ब, समयदान, अंशदान लगावेंगे, इस युग सन्धि के प्रभात पर्व पर ऐसी आशा अपेक्षा की गई है।

इस योजना को सर्वप्रथम हिंदी भाषा से आरंभ किया गया है। उसकी 120 पुस्तकों की प्रथम किस्त छपकर तैयार हैं मूल्य 30) रुपये है। राशि पेशगी युग निर्माण योजना मथुरा के पते पर भेजने से पोस्ट, पार्सल का खर्चा मिशन की ओर से लगा दिया जायेगा। दूसरी किस्त अगस्त में, तीसरी दिसम्बर में छपेगी। अन्य भाषाओं के प्रकाशन की योजना भी जल्दी ही क्रियान्वित होने जा रही है।


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