“पानी में नाव रहती है परन्तु नाव में पानी का रहना उचित नहीं, इसी तरह साधक संसार में रह सकता है, परन्तु साधक के मन पर संसार छा जाय तो अच्छा नहीं। -राम कृष्ण परमहंस