अन्वेशी आइजक न्युटन (kahani)

January 1980

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अन्वेशी आइजक न्युटन अपने अन्वेषण कार्यों में कितना तन्मय चिन्तन करते थे, इसकी एक बहुचर्चित घटना इस प्रकार है। न्यूटन किसी अध्ययन में निरत थे। एक भोजन पर आमत्रित मित्र उनसे मिलने आये और उन्हें व्यस्त देखकर कमरे के एक कौने में बैठ गये। नौकर एक ट्रे भोजन लेकर आया। अतिथि ने पहले तो कुछ इन्तजार किया, पीछे समय बचाने का दृष्टि से भोजन करना आरम्भ कर दिया। साथ ही दूसरी ट्रे न्यूटन के लिए लाने को कह दिया। शिष्टाचार के अनुसर खाली की गई ट्रे को ढकने वाले तौलिये से ढक दिया गया। इतने में ही न्यूटन का ध्यान बटा। उसने मित्र को अभिवादन किया। साथ ही भोजन की मेज पर जाकर खाने का उपक्रम करने लगे। खाली ट्रे देखकर उनने कहा-अरे, मैं तो पहले ही भोजन कर चुका, मुझे याद तक नहीं रहा। मित्र उनके भुलक्कड़पन पर हँसने और सारा घटनाक्रम उसे बताते हुए नई ट्रे आने पर उन्हें भोजन कराया।


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