गरीबी अधिक सुखद (kahani)

May 1979

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ओस्लो के समीप एक गाँव में दो मजदूर रहते थे। एक का नाम था आरडिन और दूसरे का क्रिस्टल। उनके कनाडा स्थित अमीर सम्बन्धी ने मरते समय अपनी सम्पत्ति में से एक लाख डालर इन मजदूरों को मिलने की वसीयत कर दी ताकि उनकी गरीबी दूर हो सके।

जब वह धन उनके पास आया तो वह श्रमिकों ने गिरजे की पाठशाला में पहुँचा दिया और कहा-”हमारे लिए उतना ही पर्याप्त है, जितना पसीना बहा कर कमा लेते है। बिना मेहनत के मिलने वाली अमीरी से यह श्रम निष्ठ गरीबी हमें अधिक सुखद है।”


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