अन्य क्षेत्रे कृतं पापं पुण्य क्षेत्रे विनश्ष्यति। पुण्य क्षेत्रे कृतं पापं बज्रलेपो भविष्यति।।
अर्थात्- तीर्थों में रहते हुए भूलकर भी पाप नहीं करना चाहिए। क्योंकि दूसरे स्थल के पाप तो तीर्थ में स्नान करने से कट जाते है किन्तु तीर्थ स्थल में किया गया पाप बज्र लेप हो जाता है। वह फिर किसी प्रकार नष्ट नहीं होता।