ब्रह्मा येन कुलालवन्नियमितो ब्रह्माण्ड भाण्डोदरे। विष्णुर्येन दशावतारग्रहणोक्षिप्तो महासंकटे॥ रुद्रो येन कपाल पाणि पुटको भिक्षाटनः कारितः। सूर्योभ्रार्म्यति नित्य मेप गगने तस्मै नमः कर्मणे॥
-भर्तृहरि नीति शतक
ब्रह्मा जिससे प्रेरित होकर कुम्हरे की तरह इस सृष्टि का सृजन करते रहते हैं। विष्णु को जिसके कारण दश अवतार धारण करने पड़े और संकट सहने पड़े। रुद्र जिसके दबाव से हाथ में खप्पर लिए भिक्षा माँगते फिरते हैं। जिसके दबाव से सूर्य आकाश में नाचता फिरता उस परम देव कर्म को नमस्कार।
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