विश्व भ्रमण पर थे (kahani)

July 1978

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स्वामी विवेकानन्द विश्व भ्रमण पर थे। वे अपने उपदेशों को भारतीय संस्कृति व धर्म की श्रेष्ठता का शंखनाद कर रहे थे। इसी बीच जापान के एक विद्वान ने उनसे पूछा-‘‘भारत में गीता, रामायण, वेद उपनिषद् आदि का इतना उच्च ज्ञान व दर्शन उपलब्ध है। फिर भी भारतवासी पराधीन और निर्धन क्यों बने हुए है।’’ इस पर स्वामी विवेकानन्द ने उत्तर दिया सर्वश्रेष्ठ व शक्तिशाली बन्दूक होते हुए भी उसके उपयोग की विधि उसका मालिक न जाने तो बन्दूक से वह अपनी रक्षा नहीं कर सकता। यही विडम्बना है कि अपने श्रेष्ठ धर्म व संस्कृति के होते हुए भी भारतवासी तद्नुरूप उसका आचरण नहीं करते। धर्म की महत्ता उसके आचरण में निहित है।

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