नास्ति कर्मफलच्छेतो कश्चिल्लोकत्रपेऽपि च।
इति ते कथितं सर्व निर्विशंका भव प्रिये॥
-महा0 अनु0
‘‘तीनों लोकों में कोई भी ऐसा पुरुष नहीं है जो कर्मों के फल का बिना भोग किये नाश कर सके। हे पार्वती, इस विषय में तुम्हें सारी बातें बता दीं। अब सन्देह रहित हो जाओ।’’
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अपनों से अपनी बात-