मत्यो न किंचिच्छक्यस्त्व मेको मारयितुं बलात्। मारणीयस्य कर्माणि तत्कर्तृणीति नेतरत्॥
हे मृत्यु तू स्वयं अपनी शक्ति से किसी मनुष्य को नहीं मार सकती, मनुष्य किसी दूसरे कारण से नहीं, अपने ही कर्मों से मारा जाता है।
-योगवाशिष्ठ
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