अनावश्यक धन को विकेन्द्रित करने में संलग्न (kahani)

March 1977

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देवता वरदान बाँटने धरती पर आये तो झुण्ड के झुण्ड लोग अपनी मनोकामना पूर्ति की प्रार्थनाएँ लेकर जमा हो गये।

किसी ने यश माँगा, किसी ने धन, किसी ने कुछ किसी ने कुछ। देवता सबकी वाँछाएँ पूरी करते चले गये।

एक व्यक्ति हाथ जोड़े कोने में खड़ा था। देवता ने पास बुला कर कहा-तात तुम्हें भी जो माँगना हो माँग लो।”

उसने कहा- “मेरी याचना छोटी सी है। जिन लोगों ने धन माँगा है, उनके पते मुझे बता दीजिए। फिर मैं अपनी मनोवाँछा स्वयं पूरी कर लूँगा।’

देवता ने आश्चर्य से पूछा- आखिर तुम हो कौन ? उस व्यक्ति ने कहा ‘चोर’। अनावश्यक धन को विकेन्द्रित करने में संलग्न आपका अनन्य भक्त ।


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