नशे में धुत्त (kahani)

October 1976

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

नशे में धुत्त मल्लाह देर तक जोर-जोर से डाँड चलाता रहा, पर नाव किनारे से आगे तनिक भी न बढ़ सकी।

सवारियों ने इसे दैवी प्रकोप समझा और मनौती मनाने लगे।

एक विचारशील ने कारण खोज निकाला। नाव का रस्सा खूँटे में बंधा हुआ था। उसने रस्सा खुलवाया और नाव चलने लगी।

प्रगति की नाव अपनी संकीर्णता के रस्से से ही बंधी और रुकी पड़ी है।

----***----


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles