मनुष्य (kahani)

October 1975

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दुनिया बनाने के बाद भगवान् ने मनुष्य बनाया। उसे स्वर्ग से धरती पर भेजा तो अनमना होने लगा। परमात्मा ने उसे सान्त्वना दी और दो बहुमूल्य उपहार दो घड़ों में भरकर उसके दोनों हाथों पर रख दिये और कहा—इनसे तुम्हें भीतर और बाहर आनन्द ही आनन्द मिलता रहेगा।

आश्चर्यचकित मनुष्य ने उन घड़ों के बारे में कुछ विशेष जानना चाहा और उनका उपयोग पूछा।

भगवान् ने कहा—दाहिने हाथ वाले घड़े में सत्य है बाँये में सुख। तुम सत्य के द्वारा सुख की रक्षा करना तुम्हें किसी बात की कमी न रहेगी।

प्रसन्न होकर मनुष्य चल दिया। लम्बे सफर में उसे एक जगह नींद आ गई और सुस्ताने के लिए गहरी नींद में सो गया।

शैतान को अच्छा अवसर मिला। उसने चुपके से दाहिने हाथ का घड़ा बाँये पर और बाँया दाहिने पर रख दिया और रफूचक्कर हो गया।

जागने पर मनुष्य चल पड़ा और धरती पर आ गया। यहाँ सुख उसके दाँये हाथ पर है और सत्य बाँये हाथ पर। सुख प्रधान है और सत्य गौण। सुख को सुरक्षित रखता है और सत्य की उतनी ही रक्षा करता है जिससे सुख में कमी न आने पावे।

भगवान् की मर्जी पूरी न हो सकी। मनुष्य शैतान के फेर में पड़ गया और वह बना, जैसा कि है। वह न रह सका जैसा कि उसे बनाया और भेजा गया था।


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