सैन्ट फ्रैन्सिस लम्बी बीमारी से उठे तो गिरजाघर में प्रार्थना करने के लिए पहुँचे। वहाँ उन्होंने ईसा को शूली पर चढ़ते समय पहनाये गये काँटों के ताज सहित चित्र को ध्यान पूर्वक देखा। देखते−देखते उन्हें ऐसा लगा मानो वह चित्र बोल रहा है और कह रहा है—”तू जा और मेरे घर की मरम्मत कर जिसे तू अपनी आँखों बर्बाद होते हुए देख रहा है।
उस समय तो फ्रैन्सिस गहराई में नहीं उतर सके और गिरजाघर के टूटे−फूटे भाग की मरम्मत कराने के प्रबन्ध में जुट गये। पर पीछे उन्हें ध्यान आया कि इतनी छोटी बात के लिए ईसा की आत्मा क्या निर्देश देती है उसके पीछे कोई रहस्यमय और सार गर्भित संदेश होना चाहिए। यह संसार ही परमात्मा का घर है, उसी की मरम्मत करने के लिए उस दिव्य संदेश का उद्देश्य हो सकता है। सैन्ट फ्रैन्सिस ने शेष सारा जीवन उसी काम में लगा दिया।