दिन भर काम करने के पश्चात् हमारे मन पर, शरीर पर थकावट का भार पड़ता है। इस भार को हल्का कर नई शक्ति पाने के लिए ही प्रभु ने रात को निद्रा की व्यवस्था की है। इस बात का ध्यान रखते हुए हमें अपने मन में क्रोध, ईर्ष्या एवं चिन्ता को स्थान नहीं देना चाहिए और मन को शान्त एवं प्रफुल्ल रखना चाहिए तभी हम ईश्वर की इस व्यवस्था का समुचित रूप से लाभ उठा सकते हैं।
मनुष्य शरीर के लिए निद्रा वरदान है इसका सबसे बड़ा महत्व यही है कि दिन भर के कठिन परिश्रम के पश्चात् निद्रा के माध्यम से हम अपने शरीर की खोई हुई शक्ति को पुनः संचित कर अगले दिन के कार्य के लिए तैयार रहते हैं। किन्तु यह तभी सम्भव हे जब हम चिन्ता रहित शान्त मन से सोचें अन्यथा चिन्तायें हमें कहीं चैन न लेने देंगी तब निद्रा हमारे लिए अभिशाप सिद्ध होगी।
शरीर को स्वस्थ एवं मन को प्रसन्न रखने के लिए यह आवश्यक है कि हम अपने मन को सब प्रकार की चिन्ताओं से दूर रखें और उसे शान्ति रूपी जल से निरन्तर स्नान कराते रहें जिससे हमारा मन निर्मल, प्रसन्नता व शान्ति से ओत-प्रोत हो जाये, तब निद्रा हमारे स्वास्थ्य और प्रसन्नता के लिए वरदान तुल्य होगी।
हमारे मन में सोते समय यह आशाप्रद विचार होने चाहिएँ कि हमारा जीवन सुखी एवं सम्पन्न हो। सोते समय हमें किसी महापुरुष के श्रेष्ठ कर्त्तव्यों एवं उज्ज्वल आदर्श को स्मरण करना चाहिए और ऐसा विचार करना चाहिए कि हम भी अपने जीवन में ऐसे ही श्रेष्ठ कार्य करेंगे। ऐसे प्रेरणादायक विचारों से मस्तिष्क को प्रकाशित रखना चाहिए। तथा इस तरह के विचारों के प्रभाव से हमारा जीवन भी उसी ओर अग्रसित होता है।
काम-काजी व्यक्ति की हर समय कुछ न कुछ सोचते रहने की आदत पड़ जाती है और यह आदत उन्हें रात में भी सोचने के लिए बाध्य कर देती है। इससे उनका सोना न सोना बराबर हो जाता है। उनकी शारीरिक एवं मानसिक शक्ति का ह्रास होता है।
मन को चिन्ता से दूर रखकर उच्च आदर्शों का अभ्यस्त बनाना एक प्रकार की कला है इसके लिए बड़े अभ्यास की आवश्यक ता है। सोने के समय हमें प्रसन्न एवं निश्चिन्त होना चाहिए मानो ईश्वरीय उल्लास हमारे रंग-रंग में छा गया हो। इससे हमें सुखद निद्रा आती है। इससे शरीर में नया बल एवं उत्साह बढ़ता है जिससे हम दैनिक कार्यों को अच्छी तरह से कर सकते हैं। चिन्ता और भय धीरे-धीरे आशा एवं सफलता के प्रकाश में धीमे पड़ते जायेंगे। उच्च विचारों के समावेश से जीवन एक नया सन्देश देने लगेगा। स्वास्थ्य की सुन्दरता हमें प्रगतिशील बनायेगी।
चिन्ताएँ मनुष्य को अपाहिज बना देती हैं। चिन्ता रूपी सुरसा व्यक्ति को खा जाती है। रात्रि में कभी-कभी हमें बड़े भयंकर स्वप्न दिखाई पड़ते हैं। यह सब हमारी चिन्ताओं का ही परिणाम होता है जो निद्रावस्था में हमें परिलक्षित होता है जो मिथ्या होते हैं। लेटने के बाद अगर कोई विचार मन में आता है तो वह श्रेष्ठ, उच्च, महान होना चाहिए। दुःखदायी अनुभवों का स्मरण न करें यह हमारे घोर शत्रु हैं। जीवन को प्रगतिशील एवं विकसित बनाने की शुभ आशाओं का चिन्तन कीजिए।