बैठे हुए का भाग्य बैठा रहता है, उठता था बैठता नहीं, उठकर खड़े होने वाले का भाग्य उन्नति के लिए उठ खड़ा होता है। जो आलसी भूमि पर पड़ा सोया रहता है, उसका भाग्य भी सोता रहता है, जागता नहीं। जो देश-देशांतर में अर्जन के लिए चल पड़ता है। उसका भाग्य भी चल पड़ता है, दिन-दिन बढ़ता जाता है।