Quotation

November 1968

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एक दिन मैं बहुत कोमल मखमली गद्दों पर सोया, तब भी वैसे ही स्वप्न आ रहे थे, जैसे सूनी धरती पर आते हैं, तब से मुझे मखमली गद्दों का कोई आकर्षण नहीं रहा, अब मुझे उसे देखने का चाव जाग गया है, जहाँ से यह स्वप्न आते हैं, जहाँ से निरन्तर परावाणी प्रस्फुटित होती है। -जिब्रान


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