आत्म-विश्वास से अदृश्य दर्शन

November 1968

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न्यूयार्क में एडवर्ड ऐनिस नामक एक व्यक्ति रहता था। वह धर्म-कर्म और ईश्वर में बहुत विश्वास रखता था पर अपने अनेक संबंधियों में सब से अधिक निर्धन वही था। तो भी वह इतना आत्म-विश्वासी था कि इसी एक गुण के कारण उसका सभी सम्मान करते थे।

निर्धनता की अवस्था में काफी समय बीत गया। एक दिन वह किसी स्थान के पास से गुजर रहा था तो उसे ऐसा आभास हुआ, इस स्थान पर द्रव मात्रा में काफी सोना विद्यमान है। उसने एक ज्योतिषि से भी पूछा, उसने भी पुष्टि कर दी पर उसने प्रमुखता अपने विश्वास को ही दी। वह प्रायः कहा करता था- ‘‘मेरा हृदय, मन और मेरी आत्मा इतने निष्कलुष और विकार रहित हैं कि उनमें भविष्य के संदर्भ भी ऐसे प्रकट हो जाते हैं, जैसे उन्हें मैं सचमुच देख रहा हूँ। जब मेरा विश्वास दृढ़ हो जाता है तो फिर उस कार्य की सफलता में कुछ सन्देह भी नहीं रह जाता।

ऐनिस के पास धन नहीं था तो भी उसने अपने तमाम साधन एकत्रित करके कुछ मित्रो से सहायता प्राप्त करके वह जमीन खरीद ली और वहाँ खुदाई प्रारम्भ कर दी। दुर्भाग्य कि हाइलैण्ड मेरी में कुछ चाँदी के टुकड़े ही उपलब्ध हुये और उसके बाद ही उसकी मृत्यु हो गयी। मरने से पूर्व अपने एक संदेश में एनिस ने कहा- ‘‘जो बात आत्मा से निकलती है, वह कभी झूठ नहीं होती। मुझे नहीं मिला तो क्या, अभी उस स्थान पर सोना है अवश्य।”

मृत्यु के 16 वर्ष बाद श्रीमती मार्या मारले ने, जिन्हें एनिस के आत्म-विश्वास पर भारी भरोसा था, फिर से खुदाई का काम जारी करवाया। 600 फीट तक खुदाई करने के बाद वहाँ सोने, चाँदी, तांबे और जिंक के भंडार मिले। इससे उस महिला को कई लाख डालर का लाभ हुआ।

अपनी सफलता पर उन्होंने केवल इतनी ही टिप्पणी की- ‘‘आत्म-विश्वास अपने आप एक ज्योतिष है, ऐसा मनुष्य भले ही अपने लिये कुछ न करे पर उसकी विकसित अन्तर-शक्ति अनेकों दूसरों का भी कल्याण कर सकती है।”


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