निर्भीकता

November 1968

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निर्भीकता :-

‘‘मूसा किसी गांव की यात्रा कर रहे थे। एक स्थान पर उन्हें झोपड़ी में कुछ आवाज-सी सुनाई दी। रुककर देखा तो एक सांप फुंकार कर रहा था। मूसा भय से कांपने लगे। हृदय धड़कने लगा, सांस जोर-जोर से चलने लगी, दम फूलने लगा, बुद्धि ने जवाब दे दिया, अब क्या करना चाहिये।’’

तभी एक आवाज आई, मूसा! डरो मत उठो, साहस करो और सांप को जकड़कर पकड़ लो, मूसा ने थोड़ा साहस बांधा, पांव आगे बढ़ाया और सांप को पकड़ लिया। जब मूसा ने सांप को पकड़ा तो वह सांप सोने का डंडा बन गया। निष्कर्ष यह है कि भय का, साहस से, धैर्य से सामना करना ही सफलता है।


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