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August 1968

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सत्य बोलने और न्याय देने की आवश्यकता आ पड़े तो अपनी जीभ को मुक्त कर दो। किसी को स्नेहपूर्ण समादर की आवश्यकता हो, तुम्हारे सामने उपकार के प्रति आभार प्रदर्शन का अवसर हो तो जीभ को मुक्त छोड़ दो। जीभ की मिठास जीवन का मधुरस है, उसे इन चार अवसरों पर पियो।

पर कड़वी जवान जंगल का शेर है उसके पास जाने से सभी डरते हैं, तुम उस पर हमेशा अंकुश रखा करो। बेरोक-टोक विचरण करने दोगे तो वह तुम्हारे जीवन को उजाड़ कर रख देगी। -रेमिसिस (मिश्र के सम्राट्)


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