एक सेब का मूल्य :-
तुर्की में जकीर नाम के एक फकीर हुए हैं। वह आईन नदी के किनारे कुटी बना कर रहते थे। एक दिन नदी में एक सेब बहता आ रहा था। जकीर ने उसे पकड़ लिया।
अभी उसे खाने की तैयारी कर ही रहे थे कि अन्तःकरण से आवाज आई- ‘‘फकीर! क्या यह तेरी सम्पत्ति है, क्या तूने इसे परिश्रम से पैदा किया है? यदि नहीं तो इसे खाने का तुझे क्या अधिकार?”
सेब झोले में डाल कर अब फकीर उसके स्वामी की खोज में नदी के चढ़ाव की ओर चल पड़े। थोड़ी दूर पर एक सेब का बाग मिला। कुछ सेब के वृक्षों की डालें पानी को छू रही थीं, फकीर ने विश्वास किया सेब यहीं से टूटा हुआ होगा।
उन्होंने बाग के स्वामी से कहा- ‘‘यह लिजिये आपका सेब नदी में बहा जा रहा था।” उसने कहा- ‘‘भाई, मैं तो बाग का रखवाला मात्र हूँ, इसकी स्वामिन तो बुखारा की राजकुमारी है।”
फकीर वहाँ से बुखारा के लिये रवाना हुआ। कई दिन की पैदल यात्रा के बाद वहाँ पहुँचा और वह सेब लेकर राजकुमारी जी के पास उपस्थित हुआ।
फकीर को एक सेब लेकर इस तरह आने का हाल सुन कर राजकुमारी हँस कर बोली- ‘‘अरे बाबा! इसको वहीं खा लेते, एक सेब यहाँ लाने की क्या आवश्यकता थी?”
फकीर न कहा- ‘‘राजकुमारी जी आपकी दृष्टि में एक सेब का कुछ भी मूल्य नहीं, पर इस एक सेब ने तो मेरा सारा धर्म, संयम और सारे जीवन की साधना नष्ट कर दी होती?”