एक बार साम्यवादी विचार-धारा का एक व्यक्ति गाँधी जी के पास जाकर बोला- दुनिया में इतना छल कपट, अशाँति और खून खराबी चल रही है फिर भी आप धर्म की बात करते हैं। बुराइयाँ और रक्तपात जितनी तेजी से बढ़ रहा है, उसे देखते हुए धर्म बेकार वस्तु है। बापू ने कहा- ‘‘महोदय, थोड़ा सोचिये कि उसे धर्म की मान्यता रहते इतनी अशाँति फैलाये हुए हैं तो उसके न रहने पर संसार की क्या दशा होगी?” इस पर उन सज्जन से कोई उत्तर देते न बन पड़ा।