दिन भर राम-राम जपना ही भजन नहीं है। यदि आप अपने दोषों को ढूँढ़ने और उन्हें निकालने में लग जाते हैं तो यह निश्चित मानिये कि आप ईश्वर की ओर अग्रसर हो रहे हैं। मन की मलिनता, अन्तर के पाप जिन उपायों से मिटें वह सब ईश्वर के भजन हैं। भले ही उसमें नाम-जप सम्मिलित न हो। -मेहर बाबा