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November 1966

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करील वृक्ष में यदि पत्ते नहीं हैं तो वसन्त का क्या दोष? उल्लू यदि दिन में नहीं देख पाता तो सूर्य का क्या दोष? वर्षा का जल यदि पपीहा के मुख में नहीं पड़ता तो मेघ का क्या दोष? विधाता ने जो पहले ही भाग्य में लिख दिया है उसे कौन मिटा सकता है? जिनके घर में गृहिणी अन्नपूर्णा हैं जो कि अन्नदान से तीनों लोकों की रक्षा करती है, वे शंकरजी भी हाथ में कपाल लेकर भिक्षा माँगते फिरते हैं! यों तो भाग्य में लिखा हुआ नहीं मिटता पर भाग्य के भरोसे बैठे रहने पर भाग्य सोया रहता है और हिम्मत बाँध कर खड़े होने पर भाग्य भी उठ खड़ा होता है। आलसियों का भाग्य असफल बना रहता है तथा कर्मवीरों का भाग्य उन्हें निरन्तर सफलता का पुरस्कार प्रदान किया करता है।

—अज्ञात


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