चर्चिल की कर्तव्य-निष्ठा

November 1966

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चर्चिल की कर्तव्य-निष्ठा

यद्यपि इंग्लैंड को भौतिकता प्रधान देश कहा जाता है, तो भी उसके प्रधानमन्त्री श्री चर्चिल की ईमानदारी और देश-प्रेम निम्न उदाहरण से स्पष्ट होती है। मि. डब्लू. एच. टामसन ने अपनी पुस्तक ‘मैं मि. चर्चिल का प्राइवेट सेक्रेट्री था’ में लिखा है—

‘मि. चर्चिल को प्रधानमन्त्री की हैसियत से जो सुविधायें उपलब्ध थीं उनका कभी निजी कामों में प्रयोग नहीं करते थे। अगर वह अपनी सरकारी कार को निजी काम के लिए प्रयोग करते थे तो चाहे वह बहुत ही मामूली दूरी तय करें, मुझे यह आदेश था कि मैं चलने से पहले गाड़ी के मीटर में जितने मील अंकित हैं लिख लूँ और फिर वापसी पर लिख लूँ। फिर उन मीलों को सरकारी गैरज के अफसर के पास भेज दिया जाता था और वह उनको मि. चर्चिल के निजी हिसाब में दर्ज करके उनकी कीमत वसूल कर लेता था। कौन-सा सरकारी है और कौन-सा गैर सरकारी—इसका निर्णय करने में मि. चर्चिल ने कभी सन्देह का लाभ नहीं उठाया.... मैंने तो यहाँ तक देखा है कि जब वह सरकारी कार पर सरकारी काम से जा रहे हों तो उन्होंने अपने रिश्तेदारों और अपने दोस्तों को भी बिठाने से इस कारण इन्कार कर दिया कि कार को जरा-सा भी चक्कर न लगाना पड़े।’


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