पधारने से पूर्व स्वीकृति प्राप्ति कर लीजिए

December 1955

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(1) विशद् गायत्री महायज्ञ इस युग का अभूतपूर्व यज्ञ है। 125 करोड़ गायत्री जप, 125 लाख गायत्री महामन्त्र की आहुतियों के साथ-साथ सरस्वती यज्ञ, रुद्रयज्ञ, विष्णुयज्ञ, महामृत्युँजय यज्ञ, शतचण्डी यज्ञ, लक्ष्मी यज्ञ, नवग्रह यज्ञ, यजुर्वेद यज्ञ, ऋग्वेद यज्ञ, अथर्ववेद यज्ञ, सामवेद यज्ञ, ज्योतिष्टोम, अग्निष्टोम आदि के आयोजनों की शृंखला का चलना, निश्चित रूप से एक असाधारण और अद्वितीय आयोजन है। इस महान् आयोजन के परिणाम भी महान् ही होंगे।

(2) मानव मात्र में प्रेम, सद्भावना, सदाचार, संयम, समाज सेवा, उदारता, सत्य, सन्तोष, न्याय, सहृदयता, आस्तिकता आदि सद्गुणों की-सात्विक तत्वों की-वृद्धि करना इस यज्ञ का प्रथम उद्देश्य है। दूसरा उद्देश्य यह है कि मनुष्य की दुर्बुद्धि और अधार्मिकता के कारण सूक्ष्म जगत में जो आपत्ति, अशान्ति, चिन्ता एवं अनिष्टकारक भय-भावना व्याप्त हो गई है, उसे शान्त करके विश्व शान्ति की रक्षा की जाय। तीसरा उद्देश्य यह भी है कि इस यज्ञ में भाग लेने वाले सत्पुरुष कुछ अधिक तपश्चर्या करके अपने लिए अधिक आध्यात्मिक उन्नति का परम मंगलमय लाभ प्राप्त करें।

(3) सर्व शक्तिमान माता की अपार कृपा और गायत्री उपासकों की सराहनीय सहयोग-भावना ही वह तत्व है, जिनने इतने विशालकाय आयोजन को-जो असंभव सा दीखता था, संभव बना दिया। अब पूर्णाहुति की तैयारियाँ आरम्भ की जा रही है। 108 हवन कुण्डों पर पाँच दिन तक दोनों समय हवन चलता रहेगा। देश विदेश के सुदूर प्रदेशों से दस हजार गायत्री उपासक एकत्रित होंगे, उनके ठहरने की, भोजन की तथा अन्यान्य व्यवस्थाओं की आवश्यकता होगी। वह व्यवस्था भी इतनी भारी है कि अपनी तुच्छ योग्यता और सामर्थ्य को चींटी और कार्यभार को पर्वत कहना कुछ भी अत्युक्ति न होगी। इसे पूर्ण करने में भी माता की अपार कृपा और उपासकों के नैष्ठिक सहयोग का ही श्रेय रहेगा।

(4) ब्रज की सामूहिक तीर्थयात्रा कराना यज्ञ में विशिष्ट आहुतियाँ दिलाने, विद्वानों के भाषाएं सुनवाने, अत्यन्त उच्चकोटि के सन्तों से संपर्क स्थापित कराने के लिए ही आप सबको आग्रह पूर्वक आमन्त्रित नहीं करना चाहते हैं, क्योंकि यह कार्य तो अब की अपेक्षा फिर कभी भी हो सकते हैं। जो आवश्यक कार्य ऐसे ही जिनकी पूर्ति के लिए अपने समस्त परिवार को एक साथ इकट्ठा होना आवश्यक है वह यह है कि (1) समस्त गायत्री परिवार को एक दूसरे भली प्रकार परिचित कराना और एक संगठित कुटुम्ब बनाना, (2) साधकों का एक दूसरे से अपने अनुभवों, साधन मार्गों उनके परिवर्तनों, लाभ हानियों को परस्पर कह सुनकर आगे चलने के मार्ग को सरल बनाना, (3) भारतीय संस्कृति के पुनरुत्थान के लिए जिस देश व्यापी कार्यक्रम का संचालन करना है इसके लिए इकट्ठे बैठकर विचार विनियम करना, (4) इस महायज्ञ के द्वारा जो शक्ति उत्पन्न होगी इसका एक विशिष्ठ भाग पूर्णाहुति में उपस्थित लोगों को वितरण कर उन्हें विशेष लाभों से लाभान्वित करना इन कारणों से यह सामूहिक एकत्रीकरण का विशाल आयोजन करना पड़ा, अन्यथा हम सदा ही छोटी संख्या में लोगों को इकट्ठा करके शान्तिमय वातावरण में साधना करने के पक्षपाती रहे है। भविष्य में भी वैसे ही छोटे कार्यक्रम रखेंगे। हमारे जीवन का संभवतः यह एक मात्र विशाल आयोजन हैं

(5) पूर्णाहुति के इस पुनीत अवसर पर हम आपके समस्त स्वजन-सम्बन्धियों को एकत्रित देखना चाहते हैं इसलिए अखण्ड-ज्योति परिवार के सदस्यों, गायत्री महायज्ञ के भागीदारों, संरक्षकों, साधारण गायत्री उपासकों तथा उनके परिवार को सादर आमन्त्रित करते हैं। जो आना चाहें वे आवश्यक जानकारी के लिए छपी हुई विवरण-पत्रिका मँगा ले और आने की पूर्ण सूचना देकर स्वीकृति प्राप्त करलें, केवल स्वीकृति प्राप्त सज्जनों के ठहरने भोजन आदि की ही व्यवस्था की जायेगी।


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