अगला अंक भी ‘यज्ञ अंक

December 1955

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

अखण्ड ज्योति के इस यज्ञ अंक के लिए अधिकारी विद्वानों के बड़े ही महत्वपूर्ण लेख बड़ी संख्या में आये हैं। पर अपनी नियत मर्यादा में पृष्ठ रखने के कारण उनमें से आधे में भी कम लेख इस अंक में आ सके है। इतने महत्वपूर्ण ज्ञान से पाठकों को वंचित रखना उचित प्रतीत नहीं होता। इसलिए अगला अंक भी जनवरी का अंक भी यज्ञ अंक ही होगा और उसमें लगभग पृष्ठ भी इतने ही होंगे।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here: