जो पुत्र बूढ़े माता-पिता की, पति अपनी साध्वी स्त्री की, पिता अपने छोटे बच्चों की, शिष्य गुरु की, समर्थ पुरुष ब्राह्मणों की और शरणागत की रक्षा नहीं करता, वह जीता हुआ ही मुर्दे के समान है।
-भगवान् श्री कृष्ण,
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जो पुरुष अव्यभिचारी भक्ति योग के द्वारा सच को निरन्तर भजता है, वह सत्य-रज-तम तीनों गुणों को भली भाँति लाँघकर ब्रह्म को प्राप्त होता है।
-भगवान् श्री कृष्णा,
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वह सभा, सभा नहीं है जिसमें वृद्ध न हो, वह वृद्ध वृद्ध नहीं है जो धर्म की बात नहीं करता, वह धर्म धर्म नहीं है जिसमें सत्य नहीं है, वह सत्य सत्य नहीं है जिसमें छल है।
-भगवान् श्री कृष्णा,
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अगर गिरों तो अपने कुकर्मों को दोष दो, अगर ऊँचे चढ़ो तो परमात्मा का गुण गाओ।
-महर्षि व्यास