मुझ अव्यक्त मूर्ति से यह सब जगत परिपूर्ण है और सब भूत मेरे अन्दर स्थित है, मैं उनमें स्थित नहीं हूँ और वे भूत भी मुझ में स्थित नहीं हैं, मेरी योग माया और प्रभाव को देखो कि सब भूतों को धारण, पोषण करने वाला और भूतों को उत्पन्न करने वाला मेरा आत्मा उन भूतों में स्थित नहीं हैं।
-भगवान श्री कृष्णा,
सदाचरण से मनुष्य की संपत्ति की वृद्धि होती है। लोक में उसकी कीर्ति बढ़ती है।