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October 1950

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सब भूतों के महान ईश्वर रूप मेरे परम् भाव न जानने वाले मूढ़ लोग मनुष्य का शरीर धारण करने वाले मुझ परमात्मा को नहीं पहचानते।

भगवान श्री कृष्ण,

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मेरी यह त्रिगुणमयी दैवी माया बड़ी हो दुस्तर है। जो पुरुष मुझ को ही निरन्तर भजते हैं, वे इस माया से तर जाते हैं।

भगवान श्री कृष्ण,

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मुझ में मन लगा दो और मुझ में ही बुद्धि लगा दो, फिर तुम निस्सन्देह मुझको ही प्राप्त हो होओगे।

भगवान श्री कृष्ण,

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जिन लोगों में फूट है वे न तो धर्म का आचरण कर सकते हैं, न सुख प्राप्त कर सकते है, न गौरव प्राप्त कर सकते हैं और न शक्ति ही प्राप्त कर सकते है।


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