Quotation

March 1948

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यह संसार आनन्द के लिए ही नहीं है, यह केवल परिश्रम का स्थान है। यहाँ जो आनन्द हमें प्राप्त होता है वह इसलिए मिलता है कि हम किसी आगामी परिश्रम के लिए और भी दृढ़ हो जायें।

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आलस्य का सबसे बुरा फल, कुप्रवृत्तियों को उकसाना है।

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आलस्य वह राज रोग है जिसका रोगी कभी नहीं संभलता।

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