मनुष्य को बड़ी सजगता के साथ जीवन को व्यवस्थित बनाना सीखना चाहिए। अव्यवस्था से समय और शक्ति दोनों का दुर्व्यय होता है। एक बार व्यवस्थित जीवन की आदत बन जाने पर कार्यक्रम में तेजी और खूबसूरती आ जाती है। भीतरी और बाहरी व्यवस्था जीवनोन्नति की सबसे पहली एवं सर्वोपरि सीढ़ी है।