राक्षसों की सम्पत्ति घृणा है। मनुष्यत्व का चिन्ह क्षमा है और प्रेम देवताओं का स्वभाव है।
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जल से शरीर शुद्ध होता है। सत्य से मन, भक्ति और पुण्य से आत्मा, ज्ञान से बुद्धि पवित्र होती है।