इस अंक से दस लेख मालाएं आरम्भ की जा रही है। अगले अंकों में क्रमशः इन लेख मालाओं के अंतर्गत मानव जीवन से सम्बन्ध रखने वाले प्रायः सभी आवश्यक विषयों पर प्रकाश डाला जायगा। यह लेख एक विशुद्ध वैज्ञानिक दृष्टिकोण से लिखे जा रहे हैं, जैसा कि सत्य शोधक के लिए आवश्यक है। सत्य को नंगे रूप में पाठको के सामने विचारार्थ रखने की हमारी बहुत दिनों से इच्छा थी, पर भय यह होता था कि साम्प्रदायिक अन्य परम्पराओं के विवेक रहित अनुयायी उसे हजम कर सकेंगे या नहीं? तीन वर्ष तक स्वतन्त्र विचारों की शिक्षा देकर पाठकों से अखण्ड ज्योति यह आशा करती है कि वे उस मनोभूमि को प्राप्त कर चुके होंगे, जिस पर खड़ा होने वाला सत्य को सुनने, समझने और धैर्यपूर्वक उस पर विचार करने की योग्यता रखता है। हमारा यह कथन नहीं है कि फिरके बन्दी के- साम्प्रदायिकता के-विचारों को इसी समय छोड़ दिया जाय। इस लेख माला को आरम्भ करते समय हमारा इतना ही विनम्र निवेदन है कि इन्हें पढ़ते समय अपने को “सत्य की खोज करने वाले निष्पक्ष मनुष्य” मात्र समझते हुए इनका अध्ययन करें और उन पर इसी दृष्टि से विचार करें। यदि पाठक ऐसा करने में समर्थ हुए तो उन्हें भूमण्डल के समस्त आध्यात्म शास्त्र के अन्वेषकों-वैज्ञानिकों की शोधों का परिचय प्राप्त करने का अवसर मिलेगा। यह लेख विश्व भर की वर्तमान समय की सर्वश्रेष्ठ विभूतियों की खोजो के सारांश होंगे। भोजन कुछ गरिष्ठ जरूर है, साम्प्रदायिक संकीर्णता की मन्दाग्नि वालों को इसे हजम करने में कुछ कठिनाई होगी। तो भी हमारा विश्वास है कि अन्ततः हमारा यह प्रयास प्रत्येक पाठक के लिये उपयोगी ही होगा। निष्पक्ष सत्य शोधक एवं धैर्यवान जिज्ञासु के दृष्टिकोण से इन लेख मालाओं को पढ़ने का पाठकों से हमारा विशेष रूप से अनुरोध है।