VigyapanSuchana

April 1942

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महत्वपूर्ण सामग्री से परिपूर्ण

सत्य अंक, प्रेम अंक, न्याय अंक।

इन अंकों को विशेषांक नहीं कहा जा सकता, क्योंकि इस गलाघोंटू कागज के अकाल में जितने स्वल्प मूल्य में जितने पृष्ठ अखंड ज्योति दे रही है, वह भार ही अत्यन्त कठिन हो रहा है। ऐसी दशा में कितने पृष्ठ पढ़ाये जा सकेंगे यह नहीं कहा जा सकता। परन्तु साधारण अंक ऐसे अलभ्य होंगे कि इनकी एक-एक पंक्ति अन्तर में प्रवेश करने वाली एवं मन में ज्ञान-गंगा की नवीन धारा प्रवाहित करने वाली होगी। जिसका रसास्वादन आध्यात्म विषय के मर्मज्ञ विचारक ही कर सकेंगे।

इन अंकों का सम्पादन—

धुरंधर विद्वान, मर्मज्ञ, तत्वदर्शी और गंभीर विचारकों द्वारा होगा।

अगला-मई का अंक—”प्रेम अंक” होगा।

जिसके सम्पादक बाय, जयपुर के लब्धप्रतिष्ठ विद्वान् श्री0 जगन्नाथप्रसाद शर्मा होंगे

इन अंकों के लिए साँस रोक कर प्रतीक्षा कीजिये!


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