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April 1942

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जिसकी इच्छा शक्ति प्रबल है। उसे कोई बात असंभव नहीं।

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निश्चल स्वभाव अपनी इच्छा की पूर्ति का मार्ग स्वयं ढूंढ़ निकालता है।

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सुअर के सौ पूत किस काम के, कि फिर भी भूखों मरें, धन्य है सिंहनी का एक पूत कि जिसके बल पर झाड़ी में निर्द्वंद्व सोवे। मनुष्य संख्या बढ़ने से लाभ नहीं, आवश्यकता है पूर्ण मनुष्य की।

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प्रयत्न द्वारा बुराइयों से बचना तथा श्रेष्ठ बातों से लाभ उठाना अपने वश की बात है। बस इसी में तुम्हारी होशियारी है।

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चाहे तुमको मूर्खों की संगति हंसा भी दे तो भी पीछे वह अत्यन्त हानिकारक होती है।

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जल से शरीर शुद्ध होता है। सत्य से मन, भक्ति और पुण्य से आत्मा, ज्ञान से बुद्धि पवित्र होती है।


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