प्रातः काल होते ही प्राची दिशा से बादलों के झुँड उड़ चले, कभी गुलाबी तो कभी श्वेत वस्त्र धारण करते थे, परन्तु प्रभा

May 1941

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कैसा स्वप्न है। कितना मनोहर और सुन्दर पर अस्थिर और क्षणिक! मानव, इतना भी न देख सकोगे। इस मोह निद्रा में ही पड़े रहोगे।


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