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May 1941

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मनुष्य की प्रत्येक भूल उसे कुछ न कुछ सिखा देती हैं, यदि वह सीखना चाहे।

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विवाद करने का तरीका न जानने से ही मनुष्य बहुधा बात करते हुए, उत्तेजित होकर लड़ने लगते हैं।

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अस्थिर होकर भाग्य के आगे अपना सर न झुकाओ, शक्तिमान होकर अचल बने रहो, शक्ति के प्रकाश के लिये ही आशा ने अपने द्वार बन्द कर रखे हैं, बलवान भाग्य की मार खाकर भी वह बली होकर नवजीवन प्रारंभ करते हैं।


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