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May 1941

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प्रेम व्यवहार संसार का प्रत्यक्ष अमृत रस है। जिसको दो, वही प्रसन्न होकर तुम्हारा हो जाएगा।

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साँसारिक आनन्द का लाभ लेने के अतिरिक्त जो लोग पारलौकिक सुख की कामनाओं की पूर्ति की अभिलाषा रखते हैं, वे सर्व प्रथम उदारता, कर्त्तव्यनिष्ठा और परोपकारिता का अनुसरण करें।

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दुर्दिनों के अंधकार के नाम पर रो-रो कर अपना उत्साह भंग करने की चेष्टा मत करो, अपने मन को धूप की घड़ी की तरह बनाओ, जो केवल दिन के उज्ज्वल प्रकाश में समय को बताया करती है। अपने जीवन के शुभ संयोगों की बातें ही ध्यान में रखने का उद्योग करो।


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