गीत संजीवनी- 3

अपना रूप निहारो री

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अपना रूप निहारो री

अपना रूप निहारो री बहिनों, अपने को पहचानों री बहनों।
मत इतिहास बिसारो री बहिनों॥

राम कृष्ण की तुम हो माता।
तुम तो लव- कुश की निर्माता॥
भारत का भाग्य संवारो री बहिनों॥

तुम हो झाँसी की महारानी।
और तुम्हीं हो हाड़ा रानी॥
क्यों तुम हिम्मत हारो री बहिनों॥

तुम सोया देवत्व जगा दो।
लक्ष्मी हो घर स्वर्ग बना दो॥
धरती पर स्वर्ग उतारो री बहिनों॥

देश सृजन हित आगे आओ।
नारी की गरिमा दर्शाओ॥
अपना देश उबारो री बहिनों॥

मुक्तक-


नारी की गौरव गरिमा को- बहनों तुम्हें जगाना है।
गौरवमय इतिहास तुम्हारा- फिर से लिखा जाना है॥

राम, कृष्ण, गौतम गाँधी- व महावीर, गुरु नानक की।
माताओं की भव्य भूमिका- फिर से तुम्हें निभाना है॥
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