गीत संजीवनी-1

कसकर कमर खड़े हो

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कसकर कमर खड़े हो जाओ, सद्विचार जग में फैलाओ।
ऋषि विचार जग में फैलाओ।
जन्मशताब्दी की यह बेला, सृजनशील अभियान चलाओ॥
शताब्दी वर्ष में परिजन बढ़ें, खुद ही लिखें इतिहास।
घरों में लेखनी पहुँचायें गुरु की, है सभी से आस॥
सृजन साधना बिन, रह न पाये गाँव कोना।
गुरु के त्याग,जप- तप की फसल, उगले यहाँ सोना॥
जन्मशताब्दी के पहले ही, सच्चे साधक तुम बन जाओ॥
मशालें थामकर बहनें, चलायें ज्ञान की आँधी।
शताब्दी नारियों की है, गढ़ें आजाद गाँधी॥
दिखा दो मूल्य गुरुवर का, सभी ने प्यार पाया है।
सृजन में बेधड़क बढ़ जाओ, गुरु का वरद् साया है॥
जन्मशताब्दी महापर्व में, भूमण्डल पर तुम छा जाओ॥
युवक युवतियाँ संकल्प लें, युग को बदलना है।
बदलने इस जमाने को, प्रथम खुद को बदलना है॥
हम बदलेंगे- युग बदलेगा, हम सुधरेंगे- युग सुधरेगा।
उठो गुरुदेव की संतान, रगों में है उन्हीं का रक्त॥
युवाओं सिद्ध कर दो, हो तुम्हीं माँ भगवती के भक्त॥
जन्मशताब्दी महापर्व में, युवा शक्ति तुम आगे आओ।
ज्ञान यज्ञ की ज्योति जलाओ, भूमण्डल पर तुम छा जाओ॥
मुक्तक- बज उठी आज है रणभेरी, महाक्रान्ति का अवसर आया।
जन्मशताब्दी की यह बेला, सभी जगह उल्लास समाया॥    
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