गीत संजीवनी- 3

आया- आया युग परिवर्तन

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आया- आया युग परिवर्तन

आया- आया युग परिवर्तन काल।
गायत्री माता पुत्रों को कर दो निहाल॥

ठीक करलें हम जीवन की चाल।
जगदम्बे माताऽ हमें करेंगी निहाल॥

युग परिवर्तन की वेला है, चलो साधना करने को।
माता के दरबार में आओ, जीवन झोली भरने को॥

कर लें अपना सुधार, पायें माता का प्यार।
ऐसी साधना से सिद्धि हमऽ पायें रे॥
सारे कट जाये जग के जंजाल॥ गायत्री माता....॥

जीवन अपना शुद्ध बनायें, हम माता के प्यारे हों।
सादा जीवन- उच्चविचारों, मय (सद्) आचरण हमारे हों॥

जगे संयम की साध, श्रद्धा भक्ति अगाध।
श्रेष्ठ साधक के गुण हममें आयें रे॥
साधना फिर तो करेगी कमाल॥ जगदम्बें माता....॥

जप से तप से शक्ति बढ़ायें, आत्मविकास हमारा हो।
स्वाध्याय का क्रम अपनायें हम, अन्तस् में उजियारा हो॥

होवे आत्मविकास, फैले ज्ञान का प्रकाश।
लोक सेवा का व्रत पूरा करते जायें रे॥
माता फिर हों दयालु कृपाल॥ गायत्री माता....॥

लोभ,मोह,मद,अहंकार से, माता हमको मुक्त करो।
प्रेम और करुणा से मैया, मन हम सबका युक्त करो॥

मिटे मन से दुर्भाव, जगे देवों सा भाव।
जीवन आध्यात्म से भर जाये रे॥
ले लो हाथों में क्रांति मशाल॥ जगदम्बे माता....॥

दोहा-

ऋद्धि दे- सिद्धि दे, हितकर समृद्धि दे,
सद्गुण वृद्धि दे हे अम्बे।
सबको सद्ज्ञान दे, जीवन विज्ञान दे,
अभय वरदान दे जगदम्बे॥

निर्मल प्यार दे, जग से उद्धार दे,
भवसागर तार दे दास जानी।
मंगलमय नीति दे, गुरुपद से प्रीति दे,
जीवन में जीत दे, मातु भवानी॥

मुक्तक-

जब- जब बालक बिलख उठे माँ, पाने तेरा प्यार।
तब- तब उनको हृदय लगा, माँ तूने दिया दुलार॥

गायन से मनुष्य की सृजन शक्ति का विकास और आत्मिक प्रफुल्लता में वृद्धि होती है।
पद्य, गद्य और गायन में से मन पर ‘गायन’ का विशेष प्रभाव पड़ता है।
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