गीत संजीवनी- 3

आ जाना बन ध्यान

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आ जाना बन ध्यान

आ जाना बन ध्यान, हमारे कीर्तन में।
भर जाना माँ प्राण, हमारे जीवन में॥

आये गिरकर हमें सम्हलना,
आये भूली राह बदलना।
सीखें हम कांटों पर चलना,
ध्रुव, प्रह्लाद समान, न हारे जीवन में॥

भेद मिटाना भ्रान्ति मिटाना,
मन की मलिन अशांति मिटाना।
क्रांति जगाना शांति जगाना,
रह न सके अज्ञान, हमारे जीवन में॥

ऋद्धि- सिद्धि ही नहीं जगाना,
शुचिता समता शक्ति जगाना।
तप से मेधा बुद्धि जगाना,
बन जाना वरदान, हमारे जीवन में॥

कामधेनु के नहीं पुजारी,
कल्पवृक्ष के नहीं भिखारी।
तपसी बनें देव अधिकारी,
धीर- वीर बलवान, हमारे जीवन में॥

प्रज्ञामाता प्राण जगाना,
ज्ञान जगाना ध्यान जगाना।
दया, क्षमा, उत्साह जगाना,
कर जाना कल्याण, हमारे जीवन में॥
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