सन १८९४ में टोरेन्टो कनाडा के नाई परिवार में एक लड़का जन्मा। नाम रखा गया थामसन। वह जैसे-तैसे कुछ पढ़ा और चौदह वर्ष का होते-होते सात रुपये मासिक की मजूरी करने लगा। घर की तंगी को देखते हुए और कोई चारा भी नहीं था। लड़के ने गरीबी से हार नहीं मानी। योग्यता बढ़ाने, ऊँचा हौसला रखने और नया रास्ता खोजने में उसने अपनी सारी प्रतिभा लगा दी। एकाग्रता, तत्परता और जिम्मेदारी यह तीन उसके ऐसे आधार थे, जिन्हें उसने आदि से अंत तक कभी भी छोड़ा नहीं। अपनी विशेषताओं के कारण वह हारा नहीं अपने लिए जगह बनाता और प्रोत्साहन पाता गया। उसे फेरीवाला, क्लर्क, मुनीम, माली जैसे कितने ही छोटे-बड़े काम करने पड़े। उसकी तत्परता और सज्जनता एक के बाद दूसरे अनदेखे काम बनाती और सफल बनाती चली गई। मितव्ययिता और नियमितता के दो सद्गुणों के सहारे उसने लंबी जीवनयात्रा संपन्न की। जीवन के अंतिम चरण में पहुँचते-पहुँचते वह लार्ड थामसन के नाम से जाना जाता था। वह १२८ समाचारपत्रों का स्वामी था, १५ रेडियो और टेलीविजन स्टेशन चलाता था और वायुयान चलाने वाली कंपनी का मालिक था। अरबपतियों में उनकी गणना होती थी। अपनी आत्मकथा में उनने लिखा है कि मेरी प्रगति में न भाग्य का खेल हैं और न किसी के अनुग्रह का, उपलब्ध सफलताओं का सारा रहस्य एक ही बात में भरा हुआ है कि मैंने प्रतिभा-तत्परता निखारने में भरपूर प्रयास किया और किसी भी स्थिति में संतुलन नहीं खोया।