प्रसिद्ध अणु वैज्ञानिक नील्स बोहर ने प्रतिज्ञा कर रखी थी कि वे अपने बौद्धिक सामर्थ्य का उपयोग केवल मानव जाति के कल्याण के लिए ही करेंगे। उल्लेखनीय है कि नील्स बोहर ने ही सर्वप्रथम अणु की संरचना पर प्रकाश डाला और उसकी व्याख्या की थी।
द्वितीय विश्वयुद्ध के समय हिटलर के नाजी सैनिक उन्हें पकड़ ले गये और अणु बम बनाने के लिए दबाव डालने लगे। बोहर अणु की विनाशकारी क्षमता से परिचित थे। वे जानते थे कि यदि अणु बम बना लिया गया तो उसके द्वारा भयंकर विनाश ही होगा। इसलिए उन्होंने नाजी अधिकारियों के प्रस्ताव को ठुकरा दिया। पहले तो उन्हें कई प्रलोभन दिये गये। पर मनुष्य कल्याण के लिए समर्पित यह मनीषी इन प्रलोभनों के आगे क्या झुक सकता था? प्रलोभनों को ठुकरा दिये जाने के बाद उन्हें तोड़ने के लिए उन्हें यंत्रणाएँ दी गयी। इससे भी वे विचलित नहीं हुए। एक उनकी जान ही नहीं ली और तो सबकुछ कर लिया गया। अनेकों बार उन्हें मृत्यु के द्वार पर ले जाया गया और वापस खींच लिया गया। ताकि वे डर कर तैयार हो जाये। दृढ़व्रती नील्स बोहर न तो डरे और न अपनी प्रतिज्ञा से डिगे। किसी प्रकार वे भागकर अमेरिका जा पहुँचे। जहाँ आजीवन मानवता की सेवा करते रहे। अहिंसा सही अर्थों में साहस का पर्याय है। शूरवीरों का भूषण है। आतंक एवं दमन का प्रतिकार भी अहिंसा में आता है। इस शब्द का दुरुपयोग न हो, न उसकी ओट में अपनी कायरता छुपायें इस आध्यात्मिक गुण की व्याख्या का आज की परिस्थितियों में सही रूप में प्रस्तुतीकरण किया जाना जरूरी है। -अपरिमित सम्भावनाओं का आधार मानवी व्यक्तित्व (वाङ्मय खण्ड क्रं. 29)
*समाप्त*