गायत्री साधना के प्रत्यक्ष चमत्कार (Kahani)

November 1997

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व्यासजी ने जनमेजय से कहा-एक बार पंद्रह वर्षों तक वर्षा नहीं हुई इस अनावृष्टि के कारण भयंकर दुर्भिक्ष पड़ा। असंख्य प्राणी भूख से तड़प कर मर गये। उनकी लाशें घरों में सड़ने लगी।

तब सज्जनों ने इकट्ठे होकर विचार किया कि गायत्री के परम उपासक तपोनिष्ठ गौतम ऋषि के पास चलना चाहिए, वे इस विपत्ति को दूर सकेंगे। वे तब सब मिलाकर गौतम ऋषि के पास गये और कष्ट सुनाया।

आगन्तुकों को सम्मानपूर्वक आश्वासन देकर गौतम ऋषि ने सर्व शक्तिमान गायत्री से उस संकट के निवारण के लिए प्रार्थना की।

जगन्माता गायत्री ने प्रसन्न होकर गौतम ऋषि को समस्त प्राणियों का पोषण कर सकने में समर्थ एक पूर्ण पात्र दिया और कहा-इससे तुम्हारी समस्त अभीष्ट कामनाएँ पूर्ण हो जाया करेंगी। यह कहकर वेदमाता अन्तर्ज्ञान हो गयी और उस पात्र की कृपा से अन्न के पर्वतों जैसे ढेर लगे गये।

गायत्री साधना के प्रत्यक्ष चमत्कार

(वाङ्मय क्र. 11)


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